◆कोई भी व्यक्ति जो की उपरोक्त में से एक है निःशुक्ल क़ानूनी सहायता पाने के लिए अपने नजदीकी प्राधिकरण, समिति और विधिक सेवा केंद्र में लिखित प्रार्थना पत्र या फिर प्राधिकरण द्वारा जारी किये गए फॉर्म से आवेदन कर सकता है। अगर व्यक्ति लिखने में सक्षम नहीं है, तो वह मौख़िक माध्यम से अपना आवेदन कर सकता है, प्राधिकरण में मौज़ूद अधिकारी उस व्यक्ति की बातों को आवेदन पत्र में लिखेगा। शीला बारसे बनाम स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र में माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने कहा है की व्यक्ति की गिरफ़्तारी के तुरंत बाद पुलिस का यह अनिवार्य कर्त्तव्य है कि नजदीकी विधिक सहायता केंद्र में इसकी इत्तला की जाये जिससे की समय रहते अभियुक्त की क़ानूनी सहायता की जा सके।
◆इसके अलावा आप "राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण" जिसे हम NALSA भी बुलाते हैं की वेबसाइट पर जाके देश के किसी भी "विधिक सेवा संस्थान व प्राधिकरण" से क़ानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए "ऑनलाइन एप्लीकेशन" फॉर्म ज़रूरी दस्तावेज़ों को अपलोड करके भर सकते हैं।
●क्या हैं ज़रूरी दस्तावेज़?
अगर हम जरुरी दस्तावेजों की बात करें तो मुख्य रूप से आपके पास एक एफिडेविट होना चाहिए जिसके साथ में आपका वार्षिक आय प्रमाण पत्र, पहचान पत्र हो। बाकी दस्तावेज़ आपके केस पर निर्भर करेंगे। ध्यान रहे यह कागज़ात विधिक सेवा केंद्र या प्राधिकरण में भी ले जाना और दिखाना ज़रूरी है।
●किस प्रकार की क़ानूनी सहायता दी जाएगी???
◆आपके लिए एक वक़ील नियुक्त किया जायेगा।
◆कोर्ट की कार्यवाही में जो भी ख़र्च होगा वह दिया जायेगा, जैसे की कोर्ट फीस आदि।
◆कोर्ट के आदेशों की प्रति एवं अन्य दस्तावेज जो भी न्यायालय की कार्यवाही से जुड़े होंगे आपको उपलब्ध कराये जायेंगे।
◆आपके मामले से सम्बन्धी कागजों को तैयार व प्रिंट कराया जायेगा।
◆आपके लिए आपकी भाषा में कोर्ट के आदेशों को अनुवादित भी किया जायेगा आदि।
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