शुक्रवार, 22 जून 2018

मंगलवार, 12 जून 2018

औरत का मर्तबा इस्लाम मे


औरत का मर्तबा (1). औरत खुदा का दिया हुआ एक नायाब तोहफा है (2). हामिला औरत की 2 रकत नमाज़ आम औरत की 70 रकत नमाज़ से बढ़ कर है (3). शौहर परेशान घर आया और बीवी उसे तसल्ली दे तो उसे जिहाद का सवाब मिलता है (4). जो औरत अपने बच्चे के रोने की वजह से सो न सके उसके लिए 70 गुलाम आज़ाद करने का सवाब मिलता हैं (5). शौहर और बीवी एक दूसरे को मुहब्बत की निगाह से देखते है तो रब ताला उन्हें मुहब्बत की निगाह से देखता है (6). जो औरत अपने शौहर को अल्लाह के रास्ते मे भेजे वो औरत अपने शौहर से 500 साल पहले जन्नत में जाएगी (7). जो औरत आटा गुंदते वक़्त बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़े तो उसके रिज़्क़ में बरकत डाल दी जाती है (8). जब कोई औरत उसके बच्चे की पैदाइश के बाद 40 दीन के अंदर दुनिया से इंतेक़ाल कर जाती है तो उसको शाहादत का मर्तबा दिया जाता है (9). जब औरत अपने शौहर के पैर बिना कहे दबा देती है तो उसे 70 तोला सोना सदका करने का सवाब मिलता है (10). जो पाक दामन औरत नमाज़ रोज़े की पाबंद हो और अपने शौहर की खिदमत करे तो उसके लिए जन्नत के 8 दरवाज़े खोल दिये जाते है (10). हामिला औरत की हर रात इबादत और हर दिन रोज़े में शुमार है (11). एक बच्चे की पैदाइश पर 75 साल की नमाज़ों का सवाब और हर एक दर्द पर 1 हज का सवाब मिलता है रब ताला हमे इस्लाम के फरामीन पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे

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